एक मामूली सी बात ! ( प्रेरणा दायक कहानियां )
1. प्याज़ या जूते !!!
एक बार की बात है
, एक राजा का जुलूस निकल रहा था . तभी कुछ दूरी पर एक आदमी अपने गधे के साथ आ रहा था.
उसने राजा जी के जुलूस को देखा तो सहम गया
. उसने सोचा कहीं ऐसा न हो की मेरा गधा राजा के जुलूस में विघ्न डाल दे. इतना सोचते
सोचते गधा राजा जी के जुलूस के पास तक ही पहुंच गया. ढोलक और बाजा की आवाज़ सुनकर गधा
मचल उठा. उसने कुछ देर के लिए जुलूस ख़राब कर दिया. इस पर राजा को बहुत गुस्सा आया.
उसने उस आदमी को अगले दिन राजसभा में हाज़िर होने का हुक्म दिया. अगले दिन जब वो आदमी
राजसभा में पंहुचा तो देखा राजा बहुत गुस्से में है. और बातों ही बातों में उसने कुछ
ऐसा कहा की राजा और गुस्सा हो गया. राजा ने कहा तुम सजा के हकदार हो तुम्हे सजा मिलेगी
. बताओ तुम क्या लेना चाहोगे - सर पे २५ जूते या २५ प्याज खाना पसंद करोगे. उसने सोचा
जूते खाए तो बहुत बेज्जती होगी क्यों न प्याज ही खा लूँ . उसने कहा प्याज़ खाऊंगा. तभी
उसके लिए आलू जैसे बड़े बड़े प्याज आ गए. अभी सिर्फ तीन प्याज ही खाए थे की उसके नाक
और मुह से धुआं निकल गया पूरा चेहरा लाल हो गया. जैसे तैसे पांच प्याज खाए फिर बोला
राजा जी अब प्याज नहीं खब रहे जूते ही खा लेता हूँ. राजा ने कहा ठीक है. उसने सिपाही
की ओर इशारा किया. एक मोटा ताजा भारी भरकम सिपाही आ गया और उसका जूता भी जैसे किसी
हाथी का हो . जैसे ही दो तीन जूते खाए , समझ गया प्याज़ खाना ज्यादा आसान काम है , बोला
प्याज खाऊंगा , फिर वही हाल जैसे ही चार पांच
प्याज खाए बोला नहीं खा पाउँगा जूते खिला दो. ऐसे करते करते ९ बार में बीस जूते और
पच्चीस प्याज़ खा गया. और जब वहां से गया तो उस की हालत इतनी ख़राब थी की पन्द्रह दिन तक बिस्तर पर पड़ा
रहा.
कहानी का सबक - वो आदमी इतना ढीला था की अपने निर्णय
बहुत देर में ले पाता था. इसी कारण उसकी ऐसी दुर्गति हुई . अगर उसी दिन जल्दी निर्णय
लेकर अपने गधे को रोक लिया होता तो शायद ऐसा न होता . इसी लिए कहते हैं की अपने निर्णय
शीघ्र और सावधानी से ले कहीं ऐसा न हो की ज्यादा देर हो जाये .
धन्यवाद .....
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